Mid Day Meal Scheme क्या है
भारत एक बहुत ही विकासशील देश है और यहां पर शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है जब कई बार देखा गया कि सरकारी स्कूल में गरीब परिवारों के बच्चों पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन उचित पोषण कमी के कारण वह शरीर और मानसिक विकास में पीछे रह जाते थे। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मिड डे मील योजना की शुरुआत की है।
अगर बात करें तो इस योजना का मकसद केवल बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा, पोषण, सामाजिक समानताओं को बढ़ावा देने के लिए भी चलाई गई है।
मिड डे मील भोजन योजना क्या है?
यह एक एमडीएम स्कीम भारत सरकार की सामाजिक कल्याण योजना है जिसके तहत सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा प्रथम से आठवीं तक पढ़ने वाले सभी बच्चों को स्कूल में मुक्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
अगर बात करें तो इस योजना का बहुत ही अच्छा रिस्पांस मिल रहा है इसके द्वारा बच्चों में कुपोषण कम करने से स्कूल को बीच में छोड़ने की दर घटी और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिल रही है।
मिड डे बिल योजना का इतिहास क्या है?
सन 1950: पहली बार इस योजना को तमिलनाडु राज्य में प्रायोगिक रूप से शुरू किया गया था
सन 1995: वहीं केंद्र सरकार ने 1995 में इसे पूरे देश में लागू किया और इस योजना को राष्ट्रीय कार्यक्रम का दर्जा दिया गया।
सन् 2001: वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को इस योजना के तहत है पक्का (बनाकर) भजन को दिया जाए।
वही आज के समय यह दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल भोजन कार्यक्रम भी है।
मिड डे मील योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है निम्नलिखित प्रकार से है:
• बच्चों में कुपोषण से बचाए रखना।
• गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल की तरफ आकर्षित करना।
• वही हर साल स्कूल को बीच में छोड़ने वाले बच्चों की दर को कम करना।
• इस योजना के तहत सामाजिक समानता बढ़ाना और सभी जाति धर्म और वर्ग बच्चों को एक साथ भोजन करना।
• वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य को आपस में जोड़ना भी उद्देश्य है।
मिड डे मील योजना के लाभ क्या है?
अगर बात करें तो इस योजना के लाभों की वह है इस प्रकार से हैं:
पोषण में सुधार: इससे बच्चों के शरीर को आवश्यक कैलोरी और प्रोटीन मिलते हैं।
शिक्षा को बढ़ावा: इस योजना से गरीब परिवारों के बच्चे भी स्कूल में आने लगते हैं।
सामान्य में वातावरण: इसे हर वर्ग का बच्चा एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
भोजन सुरक्षा: इस योजना से हर बच्चे को कम से कम एक पोस्टिक भोजन मिलने की गारंटी होती है।
स्कूल उपस्थिति में बढ़ोतरी: मिड डे मील प्रतिदिन मिलने के कारण बच्चे हर दिन स्कूल आते हैं।
लड़कियों के लिए विशेष लाभ: इस योजना से परिवार अपने बेटियों को भी स्कूल में भेजने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
मिड डे मील योजना के लिए पात्रता क्या है?
यह योजना केवल कक्षा एक से आठवीं तक किसी बच्चों के लिए है।
जय योजना केवल सरकारी स्कूल सर और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल, सरस्वती शिशु मंदिर और मदरसे में भी शामिल है।
इस योजना को सभी धर्म, जाति, वर्ग के बच्चा लाभ ले सकते है।
भोजन की मात्रा और पोषण मानक क्या हैं?
इस योजना के तहत बच्चों को दी जाने वाली कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा भी सरकार के द्वारा तय की गई है।
कक्षा 1 से 5 तक बच्चों को 450 कैलोरी और प्रोटीन 12 ग्राम दी जाएगी।
कक्षा 6 से 8 तक बच्चों को 700 कैलोरी और प्रोटीन 20 ग्राम दिया जाएगा।
मिड डे मील योजना के तहत दिए जाने वाले भोजन के प्रकार क्या है?
वहीं हर राज्य और क्षेत्र के हिसाब से भोजन की सूची अलग-अलग हो सकती है लेकिन सामान्यतः इसमें यह चीज शामिल होती है:
- रोटी और सब्जी
- दाल और चावल
- दलिया
- खिचड़ी
- दूध या अंडा
- मौसमी फल
इस योजना के संचालक की जिम्मेदारी किसकी होती है?
इस योजना के को चलाने की जिम्मेदारी कई स्तर से होती है।
केंद्र सरकार: केंद्र सरकार का कार्य इस योजना की नीतियां बनाना और वित्तीय साहित्य देना होता है।
राज्य सरकार: वहीं राज्य सरकार का काम योजना का संचालन करना होता है।
स्कूल प्रबंधन समिति: वही स्कूल का कार्य है भोजन की गुणवत्ता और वितरण पर नजर रखना होता है।
रसोईया और सहायिका: इसका कार्य भोजन को पकाना और उसको बच्चों को परोसना होता है।
मिड डे मील योजना का वित्तीय प्रबंधन कौन करता है?
इस योजना का खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इसका बोझ उठाती है।
वहीं केंद्र सरकार अनाज उपलब्ध करवाती है।
राज्य सरकार रसोइयों का वेतन, सब्जी, तेल, मसाले आदि का खर्च उठाती है।
मिड डे मील योजना की चुनौतियां
आपको पता है कि यह योजना बहुत ही काफी सफल रही है लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं:
भोजन की गुणवत्ता – कई बार भोजन में अस्वच्छ पाई गई हैं।
खाद्य विषाक्तता – कुछ मामलों में देखने को मिला है कि इसको खाने से बच्चों की तबीयत बिगड़ी है।
फंडिंग की कमी – कई राज्यों में समय पर इसके लिए फंड जारी नहीं होने से इसके वितरण में दिक्कत आती है।
रसोइयों का वेतन – कई बार रसोई में काम करने वाला का बहुत कम वेतन होने से असंतोष रहता है।
निगरानी की कमी – इस योजना के तहत कई स्थान पर देखने को मिला है कि योजना का सही तरीके से पालन नहीं होता हैं।
इस योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम?
वहीं सरकार इस योजना में समय-समय पर सुधार करती रहती है ताकि इस योजना कि कमियों को दूर किया जा सके।
बच्चों के लिए स्वच्छ और साफ पानी और सोच रसोई घर की व्यवस्था की जाती है।
वही भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिए कई बार अचानक निरीक्षण भी किया जाता है।
सीसीटीवी कैमरे और डिजिटल मॉनिटरिंग शुरू करवाना।
इस योजना के लिए स्थानीय स्तर पर स्कूल प्रबंधन समिति को इसकी जिम्मेदारी देना।
बच्चों को भोजन में दूध फल और एंड शामिल करना।
मिड डे मील योजना का प्रभाव?
इस योजना के तहत बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा है जिसका परिणाम कई बार देखने को मिलता है जिसका वर्णन इस प्रकार से है:
इस योजना के तहत अब लाखों बच्चे ने नियमित रूप से स्कूल में आते हैं।
इस योजना से बालिकाओं की उपस्थिति में भी सुधार हुआ है।
इस योजना से बच्चों में कुपोषण की समस्या काफी हद तक कम हो गई है।
इस योजना से गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाई में सहायता मिलती है।
मिड डे मील हॉलीडे अपडेट 2023 – 2025 क्या है?
इस योजना का नाम अब बदल कर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कर दिया गया है।
वही इसमें अब प्री प्राइमरी बच्चों को भी शामिल किया गया है।
वहीं अब राज्य को इसके लिए अतिरिक्त फंड दिया जा रहा था कि भोजन की गुणवत्ता को और बेहतर किया जा सके।
निष्कर्ष
मिड डे मील योजना भारत की सबसे बड़ी सफल योजनाओं में से एक है यह नए केवल बच्चों को पोस्टिक भोजन उपलब्ध करवाती है बल्कि बच्चों को शिक्षा के प्रति बढ़ावा देती है और वही यह योजना गरीब परिवारों के बच्चों के लिए एक वरदान साबित हुई है।
इस योजना में आज भी कई चुनौतियां हैं लेकिन सरकार लगातार इसमें सुधार कर रही है इस योजना लाखों बच्चों का भविष्य संवारने में बहुत बड़ी है भूमिका निभाई है।